सोमवार, 24 दिसंबर 2012

में एक गाय हु मेरी यह एक पुकार हे

मेरा प्राण ही आपका प्राण हे

में एक गाय हु मेरा शरीर सबसे उतम हे

मेरा शरीर इस धरती पर सबसे निराला हे

मेरे बिना यह धरती अधूरी हे

मेरे बिना आप सभी प्यासे हो जाते हो

मेरा दूध का कितने लोग स्वाद लेते हे

मेरे दूध से कितने बचो का भविष्य बचता हे

मेरे दूध से दूधडी खीर बनती हे

मेरे दूधडी खीर का स्वाद कही नहीं मिलता हे

मेरे दूध से दही और माखन बनता हे

मेरे दूध से घी और छाछ बनती हे

मेरे शरीर में सभी भगवान भीराजमान होते हे

मेरे शरीर में एक स्थान आपका भी हे

मेरे गोबर से आपका आँगन पवित्र होता हे

मेरे गोमूत्र से आपका घर पवित्र होता हे

जिस देश मुझे माता कहकर पूजा करते हे

वही देश आज मेरी हत्या कर रहा हे

मुझे कत्लखाने में लिजाते हे आइना दिखाते हे

आइना दिखाकर मुझे वही खत्म कर देते हो

मेने किया गुनाह किया हे जो मुझे मार रहे हो

जब तक में धरती पर हु यह धरती रहेगी

जिस दिन में खत्म हो गयी उस दिन प्रलय आ जायेगा

एक दिन था जब मुझे बचाने के लिए

अपनी जान तलवारो से खेलकर बचाते थे

धरती माता आकास पिता यह धरती पर किया हो रहा हे

यह सब तो मुझे खत्म करने में लगे हे

यह मेरी एक पुकार हे अब मुझे बचालो

अभी नहीं बचाओंगे तो कभी नहीं

फिर प्रलय के लिए तेयार रहना

फिर चारो तरफ हाहाकार मच जायेगा

में एक गाय हु मेरी यह एक पुकार हे

LIVE IN CHENNAI KOLATHUR

लेखक सीरवी सुखाराम सोलंकी

गाँव कुशालपुरा तहसील रायपुर ( मारवाड़ )

जिला पाली

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