शनिवार, 5 नवंबर 2011

जो पत्थर हथोडी की चोट नहीं खाता
जो पत्थर हथोडी की चोट नहीं खाता
वो न तो मंदिर में न किसी मस्जिद में जगह कभी पाता
मुश्किलें तो जिंदगी कि तस्वीर का अनोखा रंग हैं
बिना इस रंग को पाए अगर जीत भी गए तो भी जीत की तस्वीर में मज़ा नहीं आता.

जो पानी उपर से नीचे नहीं आता
वो न तो किसी की लिए अमृत होता न ज़हर बन पाता
गिरना तो जिंदगी का एक कदम हैं
बिना इस कदम को रखे आकाश छूने का मज़ा भी नहीं आता

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