मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011






















हो सकता है कि मेरे सभी हिंदुस्‍तानी भाई बहन, दीपावली की पूर्वसंध्‍या पर कल काम कर रहे हों और फिर दीपावली की तैयारियों में व्‍यस्‍त हो जाएं, मैंने सोचा क्‍यों न प्रोज़ में अपने सहकर्मियों को दीपावली की शुभकामनाएं देने में मैं अग्रणी बन जाऊँ!

कुछ शब्‍द मेरी ओर से-

न तेरी है न मेरी है
ये लक्ष्‍मी तो एक देवी है।
भला करो तो खुश हो जाती,
बुरा करो दुख देती है।

जो ना पाए वो दुखी,
जो पा जाए वो भी दुखी,
पर फिर भी ससुराल की तरह
ये कभी कभी सुख देती है।

लक्ष्‍मी की महिमा अपार है।
ऐसा इसका प्‍यार है।
ये देती जहां आशीर्वाद है
वहां बहार ही बहार है।

ओम् लक्ष्‍म्‍यै नम:!
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्‍मीरूपेण संस्‍थिता, नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमोSनम:!

लक्ष्‍मी-गणेश आप सभी के घरों में विराजमान होकर आप सभी पर अपार धनवर्षा करें और आपके परिवार के सदस्‍यों के जीवन में शांति, सुख और समृद्घि लाएं!

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